this is the first poem i received in response to my tag... a really nice poem from manasi
here's the link to her blog and the actual poem below :
http://forevermanasi.blogspot.com/2008/09/not-so-simple.html
ओ आसमान में उड़ते पंछी,
कभी मुझे भी अपने साथ ले जा.
खुल कर निडर मुक्त गगन में,
एक उड़ान की चाहत जो है.
बैठी है जो टीले के पीछे,
वो बुढ़िया जो अपना चूल्हा फूकती.
बताया उसने कि तुम ले गयीं थी उसको,
एक सूखी रोटी के बदले.
मैं होमवर्क पूरा कर लूंगी,
दूध वाले को तंग भी न करूंगी,
उस गुरजीत से नहीं लडूंगी,
एक उड़ान की चाहत जो है.
Saturday, June 13, 2009
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